दिलीप कुमार ने क्यों कहा था 'जब फिल्म का विलेन ही स्ट्रांग नहीं होगा तो हीरो क्या करेगा'

साल 1957 में बीआर चोपड़ा दिलीप कुमार के साथ फिल्म ‘नया दौर’ बना रहे थे उस वक्त यश चोपड़ा उन्हें असिस्ट कर रहे थे. हालांकि दिलीप ने पहले इस फिल्म को करने से इंकार कर दिया था.

बॉलीवुड फिल्मों को रोमांस के रंगों से सराबोर करने वाले मशहूर डायेक्टर यश चोपड़ा ने कई शानदार फिल्में दी हैं, उनकी फिल्मों में काम करके कई स्टार्स सुपरस्टार भी बने. अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरूख खान तक हर किसी ने यश चोपड़ा की फिल्मों में काम कर अपने करियर की ऊंचाइयों को छूआ. वैसे तो यश चोपड़ा की जिंदगी से जुड़े कई किस्से मशहूर हैं लेकिन दिलीप कुमार के साथ उनकी बॉन्डिंग बेहद खास थी.

 

साल 1957 में बीआर चोपड़ा दिलीप कुमार के साथ फिल्म ‘नया दौर’ बना रहे थे उस वक्त यश चोपड़ा उन्हें असिस्ट कर रहे थे. हालांकि दिलीप ने पहले इस फिल्म को करने से इंकार कर दिया था. दिलीप की पॉलिसी थी कि वो एक वक्त पर दो ही फिल्मों में काम करते थे और उस वक्त उनके पास पहले से ही दो फिल्में थी जिनकी शूटिंग चल रही थी, इसीलिए दिलीप कुमार ने यश और बीआर चोपड़ा को फिल्म के लिए मना कर दिया था. दिलीप की इंकार के बाद दोनों भाई दूसरे एक्टर्स से बात करने लगे लेकिन उन्हें मनपसंद हीरो नहीं मिला, तलाश जारी थी. फिर अचानक दो महीने के बाद दिलीप कुमार ने सामने से फोन किया और बीआर चोपड़ा से बोले- 'आप मेरे पास अपनी फिल्म ‘नया दौर’ का ऑफर लेकर आए थे, उस समय मैं दो फिल्मों में काम कर रहा था, बड़े दुख की बात है कि उनमें से मेरी एक फिल्म के डायरेक्ट अब नहीं रहे. अगर आप अभी भी वो फिल्म बना रहे हैं तो आजाइए.'

 

दिलीप कुमार का उन्हें इस तरह न्यौता देना दोनों भाईयों के लिए बहुत बड़ी बात थी क्योंकि उस दौर में दिलीप साहब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार थे. दोनों भाई दिलीप को कहानी सुनाने पहुंचे, उन्होंने कहानी सुनी और सुनते ही फिल्म के लिए हां कर दी, फिर दिलीप बोले-'कल मेरे जुहू वाले कॉटेज में बैठते हैं और फिल्म की तैयारी करते हैं, मैं आपको सभी सीन करके दिखाउंगा, आप बता देना ठीक है या गलत.'

 

दिलीप साहब ने उन्हें अलगे दिन सुबह 11 बजे जुहू बुला लिया. मगर ट्विस्ट ये था कि वो सारी बातें फिल्म के विलेन को लेकर हो रही थीं, उनकी बातें सुनकर दोनों भाई काफी हैरान हो गए. यश चोपड़ा से रहा नहीं गया और उनसे पूछ ही लिया- आप ये सारे सुझाव तो फिल्म के विलेन अजीत के लिए दे रहे हैं, यश की बात सुनकर दिलीप बोले- 'अरे यार जब फिल्म का विलेन स्ट्रॉग होगा तभी तो हीरो मजबूत दिखेगा, नहीं तो मैं फिल्म में क्या करुंगा'.

 

दिलीप कुमार की इन बातों ने यश चोपड़ा को काफी प्रभावित किया, दोनों को ही खाने का खूब शौक था, फिल्म की शूटिंग के दौरान वो जिस कॉटेज में ठहरे थे वहां दिलीप, यश को अपने पास बुलाते और कहते- 'शाम को आ जाना मैं चिकन बनाउंगा'. खबरों की माने तो शूटिंग के वक्त दिलीप 18 अंडों का ऑमलेट खाते थे. यश चोपड़ा को उनकी एक रेसिपी बहुत पसंद थी, दिलीप कुमार कीमा बनाना उस पर फ्राइड एग डाल देते थे, जो बेहद ही स्वादिष्ट लगती थी. इस तरह धीरे-धीरे दोनों की बॉन्डिंग मजबूत होती चली गई. साल 1984 में यश चोपड़ा ने फिल्म 'मशाल' बनाई जिसमें दिलीप कुमार ने लीड रोल निभाया था.

 

जब साल 2012 में यश चोपड़ा का निधन हुआ तो दिलीप कुमार बेहद दुखी थे. दिलीप ने कहा- 'उनके जाने पर मुझे कितना दुख हुआ, इस बात को शब्दों में बयां नहीं कर सकता, यश मेरे लिए एक दोस्त से बढ़कर भाई की तरह थे.'